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डाॅ॰ सुरेश गौतम
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सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'
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डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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अमित कुमार
वस्तुजगत का यथार्थ
शान्ति सुमन ने गीत के धरातल पर तब प्रवेश किया जब नवगीत बनते हुए गीत के उनके जैसे रचनाकार की जरूरत थी। तब मुजफ्फरपुर एक छोटा शहर था जब अध्ययन और आजीविका के लिए उनको (शान्ति सुमन को) वह शहर मिला जहाँ अनगिनत असुविधाजनक स्तिथियाँ थीं। फिर भी जीवन जीने की जिद उनकी कम रचनात्मक नहीं थी। कदाचित कम उम्र में ही सयाने अनुभवों ने समय-साल के प्रति उनको चौकन्ना बना दिया था। इस चौकन्नापन के कारण उनकी आन्तरिक कोमलता ने वस्तुजगत का यथार्थ ओढ़ना शुरू कर दिया था। इसलिए जिन दिनों उनके समानधर्मा रचनाकार प्रेम-गीत लिख रहे थे, शान्ति सुमन ने सामाजि, आर्थिक विसंगतियों को देखना-समझना शुरू कर दिया था। ऐसी निरायास रचनाधर्मिता की धनी शान्ति सुमन ने अपने गीत-संग्रहों के द्वारा अपनी प्रामाणिकता सिद्ध की है।