शान्ति सुमन के गीत - डॉ॰ शिवकुमार मिश्र
आत्म परिचय
शान्ति सुमन : व्यक्ति और कृति : दिनेश्वर प्रसाद सिंह 'दिनेश'
शान्ति सुमन : व्यक्ति और कृति : डाॅ. सुनन्दा सिंह
आत्मकथ्य - डाॅ॰ शान्ति सुमन
कुमार रवीन्द्र
नई क्रांति-दृष्टि
शब्द की सामर्थ्य में यकीन - हाँ, 'गोबर-माटी सने हाथ में भाषा जीने की' का होना - यही है कवयित्री की नई क्रांति-दृष्टि | उसे विस्वास है कि 'हँसी बच्चों कि हँसेंगे शब्द / नहीं जालों में फँसेंगे शब्द' और क्यों न हो यह, क्योंकि अब 'चाक पर श्रम के मढेंगे शब्द |'
यही है शांति सुमन का रचना-संसार, जिसमें 'दुख से मँजी हुई धरती' और उसकी विविध छवियाँ हैं, 'यही सदी रोने न देगी' का त्रासक एहसास है, 'अग्निपंख लेकर उड़े थे हम' की स्मृतियाँ हैं, 'ईख-ईख मन / हवा मछलियों जैसी' , 'धो देती मन हँसी तुम्हारी / करुणा-नेह पगी' की सुखानुभूतियाँ हैं | 2007 में आये उनके अधुनातन संकलन 'धूप रंगे दिन' के गीत साक्षी हैं उस रागात्मक संचेतना के विविधवर्णी रूपाकारों के जिनका पर्याय हैं सुश्री शांति सुमन |