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डाॅ॰ सुरेश गौतम
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सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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चन्द्रकान्त
समय, समाज, जीवन से एकरूपता
अपने गीतों की तरह शान्ति सुमन ने अपनी कविताओं में भी अपने समय, समाज और जीवन से अपनी एकरूपता बनाये रखती है। इनकी कविताओं का जीवन-यथार्थ इनके सामाजिक सरोकार से ही उत्पन्न हुआ है। समकालिक समाज में पल रहे जीवन-सत्य को कवयित्री ने अपने शब्दों ढाला है। इसलिए इनकी कविता किसी स्वप्न-लोक की कल्पना नहीं है और सच तो यह है कि इन्होंने आदर्श के छल-फरेब से भरे काल्पनिक इन्द्रजाल को भी काटने की कोशिश की है।