आरसी प्रसाद सिंह

राजेन्द्र प्रसाद सिंह

उमाकान्त मालवीय

डाॅ॰ रेवतीरमण

डाॅ॰ सुरेश गौतम

सत्यनारायण

डाॅ॰ विश्वनाथ प्रसाद

डाॅ॰ वशिष्ठ अनूप

ओम प्रभाकर

देवेन्द्र कुमार

विश्वम्भर नाथ उपाध्याय

कुमार रवीन्द्र

डॉ. अरविन्द कुमार

डाॅ॰ सुरेश गौतम

सत्यनारायण

भारतभूषण

डाॅ॰ सीता महतो

डाॅ॰ संजय पंकज

रत्नेस्वर झा

चन्द्रकान्त

डाॅ॰ विश्वनाथ प्रसाद

डाॅ॰ अरूण कुमार

देवेन्द्र कौर

शरदेन्दु कुमार

डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी

नन्द भारद्वाज

डाॅ॰ इन्दु सिन्हा

डाॅ॰ कीर्ति प्रसाद

डाॅ॰ अंजना वर्मा

अमित कुमार

डाॅ॰ मधुसूदन साहा

मधुकर अष्ठाना

सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'

मधुकर सिंह

पंकज सिंह

मनीष रंजन

वीरेन्द्र आस्तिक

श्रीकृष्ण शर्मा

अनूप अशेष

शंकर सक्सेना

कुमार रवीन्द्र

डाॅ॰ माधुरी वर्मा

यश मालवीय

डाॅ॰ चेतना वर्मा

डाॅ॰ लक्ष्मण प्रसाद

डाॅ॰ अशोक प्रियदर्शी

कनकलता रिद्धि

दिवाकर वर्मा

सूर्यभानु गुप्त

डाॅ॰ सुप्रिया मिश्र

माधवकान्त मिश्र

शिशुपाल सिंह 'नारसारा'

डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि

डाॅ॰ मधुसूदन साहा

लोकगीतात्मक सौन्दर्य

              लोकगीतात्मक सौन्दर्य और लोरी की कोमलता लिए उनके (शान्ति सुमन के) अनेक गीत हैं, जिनमें सहज बिम्बों के कुशल प्रयोग देखने लायक हैं। नये-नये बिम्बों और प्रतीकों की तलाश तो वे अवश्य ही करती हैं, किन्तु उनकी दृष्टि अपने आस-पास बिखरी हुई जिन्दगी पर जाती हैं। वे अपने आंगन, चौबारे, कोठे, दलान, पोखर, बथान, खेत-खलिहान आदि से बिम्बों तथा प्रतीकों पलकों की बरौनियों से पकड़-पकड़कर उठाती हैं और अपने गीतों में पिरोकर जीवन्त बना देती हैं-

कहीं-कहीं दुखती है घर की / छोटी आमदनी

धुँआ पहनते चौके / बुनते केवल नागफनी

मिट्टी के प्याले सी दरकी / उमर हुई गुमनाम

रोजमर्रे की जिन्दगी को उसी के मुहावरे में अभिव्यक्त करने में शान्ति सुमन को जितनी महारत हासिल है, उतनी बहुत कम रचनाकारों को है।

                                                         - डाॅ॰ मधुसूदन साहा