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डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी
एक भावसम्पन्न काव्यप्रसुन
भावुकता से भरे हैं शान्ति सुमन के गीत।
बात हृदय की कह रहे इसीलिए हैं मीत॥
नई क्रान्ति की दृष्टि से सरावोर हैं गीत।
अग्निपंख बन मेटते जाते हैं भव-भीत॥
कचनारी मन होसका कभी नहीं निरुपाय।
धूप रंगे दिन बन गये उन्नति का पर्याय॥
भब्य हिमालय प्राप्त कर पीड़ा अन्तर्धान।
अमृत देता दीखता शिव, करके विषपान॥
हों शतायु ये कामना करती बारम्बार।
हिन्दी के साहित्य को दें शोभित उपकार॥
स्मृतियाँ बन गुलमोहर देती हैं आलोक।
'शान्ति सुमन' 'श्वेता' कहे दीखीं सदा अशोक॥
- डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी