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सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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डाॅ॰ लक्ष्मण प्रसाद
जनसमाज से जुड़ाव
घर-द्वार और खेत-बधार उनकी रचना के प्राणाधार रहे हैं। यह चेतना किसी भी रचनाकार को जन-समाज से जोड़कर उसको सुख-दुख की अनुभूति तक ले जाती है। शान्ति सुमन जानती हैं कि परकाया-प्रवेश के लिये अपनी काया में परदुखकातरतापूर्ण हृदय होना आवश्यक है। यही रचनाकार की अपनी जमा पूँजी है जिसको लेकर वह सृजन के लोक मे उतरता है।