शान्ति सुमन के गीत - डॉ॰ शिवकुमार मिश्र

आत्म परिचय

शान्ति सुमन : व्यक्ति और कृति : दिनेश्वर प्रसाद सिंह 'दिनेश'

शान्ति सुमन : व्यक्ति और कृति : डाॅ. सुनन्दा सिंह

आत्मकथ्य - डाॅ॰ शान्ति सुमन

मनीष रंजन

अज्ञेय जैसी काव्यात्मक भाषा

              एक सौ अंठानबे पृषठों में रचित 'जल झुका हिरन' एक उपन्यास से अधिक गीतिकाव्य ही लगता है। ऐसा उसकी भाषा के लावण्य के कारण लगता है। बहुत पहले अज्ञेय ने ऐसी काव्यात्मक भाषा का व्यवहार अपने उपन्यासों में किया था। कथ्य के कारण सही, पर भावात्मक सौन्दर्य के कारण उनके उपन्यास अधिक चर्चा में आये। भाषा की नाटकीयता अथवा उसके नाटकीय सौन्दर्य ने पाठकों को अधिक प्रभावित किया था। आज भी युवाओं में उनके उपन्यास अधिक लोकप्रिय हैं। 'जल झुका हिरन' उपन्यास का शीर्षक पहले तो एक ऐन्द्रीय बिम्ब ही प्रसतुत करता है। जल झुका हिरन का चित्र ही बहुत कुछ कह देने में समर्थ है।

                                                         - मनीष रंजन