आरसी प्रसाद सिंह
राजेन्द्र प्रसाद सिंह
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डाॅ॰ सुरेश गौतम
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डाॅ॰ विश्वनाथ प्रसाद
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सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'
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डाॅ॰ महाश्वेता चतुर्वेदी
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
रत्नेस्वर झा
व्यापक परिवेश में हस्तक्षेप
शान्ति सुमन हिन्दी लिखती हुई मैथिली में आई हैं। भले इनकी मातृभाषा मैथिली हो, पर इन्होंने पहले हिन्दी में लिखा। इसलिए इनके मैथिली गीत हिन्दी गीतों मे संस्कारित हूए हैं। लोकभाषा के गीतों में जो क्षेत्रीयता होती है, छोटा परिवेश होता है, सोच का प्रथित रूप होता है और संबंधों का सीमित विन्यास – शान्ति सुमन के गीतों ने इनका अतिक्रमन किया है। व्यापक परिवेश में हस्तक्षेप करते हुए इनके अनेक गीत व्यक्तिगत संबंधों से बाहर होकर सामाजिक संबंधों को गतिशील और विश्वनीय बनाते हैं। अपने समकालीन मैथिली गीतकारों से इसलिए इनके गीत अलग और ऊपर के प्रतीत होते हैं।