राजेन्द्र प्रसाद सिंह
नवगीत की अनन्या कवयित्री एवं समकालीन लेखन की प्रणेत्री
डाॅ॰ शान्ति सुमन नवगीत की अनन्या कवयित्री एवं समकालीन लेखन की प्रणेत्री हैं । वे नवगीत और जनवादी की मुख्य धारा में दूर तक स्वीकृत, समादृत उच्च स्तरीय रचनाकार हैं । पूर्व प्रकाशित कृतियों ने जहाँ उन्हें व्यापक प्रशस्ति और प्रतिष्ठा दी है, वहीं प्रस्तुत कृति नवगीत के विकास में उनके योगदान का प्रमाण देती है । प्रायः चार दशक के लम्बे दौर में गीत-विधा की नयी रचनाशीलता का मार्का बनाती, दृष्टि और दिशा का निरूपण करती शान्ति सुमन ने निजी पहचान को सशक्त किया है । गीत-विधा की नयी पथ-रेखा इन रचनाओं में स्पष्ट होती है ।
डाॅ॰ शान्ति सुमन की गीत-संरचना स्पष्ट ही उन्मुक्त रचना-प्रक्रिया से फलीभूत है, जिसमें पूर्वागत और प्रथित गीत-रचना की रूढ़ नियमावली से निरपेक्ष निर्मिति प्रशस्त हुई है । जाहिर है कि लय-सन्धि, तालाश्रय, स्वर के विवर्त से अनेक छन्दों का मिश्रण गठित है । नयी गेयता डाॅ॰ शान्ति सुमन के गीतों के रचाव में ही सन्निहित है ।