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सम्पादकीय : 'शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि'
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शान्ति सुमन की गीत-रचना और दृष्टि
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सत्यनारायण
गीत के पक्ष में खड़ी
'ओ प्रतीक्षित' संकलन 1970 में प्रकाशित हुआ। इसमें संकलित गीत श्रेष्ठ पत्र-पत्रिकाओं में छपकर ध्यान आकृष्ट कर चुके थे। यह दौर नवगीत के उन्मेष का दौर था। उन्मेष अकारण नहीं था। यदि शम्भूनाथ सिंह की मानें तो नवगीत कोई आन्दोलन नही था।यह तो नई कवितावादियों द्वारा गीत पर किये जा रहे घातक प्रहार का परिणाम था। गीत की अस्मिता पर उंगलियाँ उठई गई। उसके अस्तित्व को नकारा जाने लगा। तब गीत के पक्ष में खड़ा होना खतरों से भरा एक साहसिक रचनात्मक पहल थी। किसी नयी प्रतिभा के लिये तो गीत लिखना अपने भविष्य को दाँव पर लगाना था। ऐसे में बिहार के एक छोटे से शहर मुजफ्फरपुर से नयी उम्र की कवयित्री ने अपने को बेहिचक दाँव पर लगाया और नवगीत के पक्ष में उठ खड़ी हुई।